चुनौतियों के बीच स्वयं को स्थापित करने में जुटा है नवीन जिला खैरागढ़-छुईखदान-गंडई

16 अप्रैल 2022 को सीएम ने की थी केसीजी जिला निर्माण की घोषणा

3 सितंबर को प्रशासनिक रूप से अस्तित्व में आया है जिला

150 दिनों में मैदानी इलाके से लेकर सुदूर वनांचल तक बनी पहुंच

कुल 53 में अब तक 30 विभागों का हो रहा स्थायी संचालन

8 पहले से संचालित, 23 विभागों की पदस्थापना रह गई शेष

सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. छत्तीसगढ़ में 31वें जिले के रूप में अस्तित्व में आये खैरागढ़-छुईखदान-गंडई के निर्माण को कुल 150 दिन बीत चुके हैं, कई विषम चुनौतियों के बीच यह नवीन जिला खुद को विकास की राह पर स्थापित करने में जुटा हुआ है. केसीजी जिला प्रशासन की पहुंच कम दिनों में ही सही मैदानी इलाकों से लेकर जिले के सुदूर वनांचल तक बन चुकी है. बीते साल 16 अप्रैल को उपचुनाव में जीत के फौरन बाद ही प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खैरागढ़-छुईखदान-गंडई को जिला बनाने की घोषणा की थी. यह सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी का सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा भी था जिसे पूरा करने में प्रदेश के मुखिया ने समय नहीं लगाया. जिले के रूप में बुनियादी ढांचे के निर्माण के 5 माह बाद ही 3 सितंबर 2022 को खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिला प्रशासनिक रूप से भी अस्तित्व में आ गया और तब से लेकर अब तक कुल 150 दिनों में विकास की राह पर अभावों के बीच भी यह नवीन जिला खुद को जनमानस के बीच स्थापित करने में सफल रहा है. जिला निर्माण के बाद 27 अप्रैल को शासन के आदेश के बाद बतौर ओएसडी आईएएस डॉ.जगदीश सोनकर ने पदभार संभाला था वहीं 2 मई को ओएसडी के रूप में ही आईपीएस अंकिता शर्मा ने भी जिले की बागडोर संभाली थी.

जिले में 30 विभागों का हो रहा अधिकारिक संचालन, 23 विभागों में स्थापना शेष

जिला निर्माण के बाद शासन के सेटअप के अनुरूप कुल 53 विभागों में 30 विभागों का यहां अधिकारिक संचालन हो रहा है वहीं 23 विभागों में जिला अधिकारियों की पदस्थापना शेष रह गई है जिनका संचालन पूर्ववर्ती राजनांदगांव जिला व राज् य स्तर से बहरहाल किया जा रहा है. वर्तमान में यहां नगरीय प्रशासन विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग, जिला शिक्षा अधिकारी, लोक निर्माण विभाग, पशु चिकित्सा विभाग, जल संसाधन विभाग, विद्युत विभाग, उद्यानिक एवं प्रक्षेत्र वानिकी, कृषि उपज मंडी, आबकारी विभाग, जिला कोषालय, आदिवासी विकास विभाग, कृषि विभाग, खाद्य विभाग, जिला विपणन (डीएमओ/मार्कफेड), नागरिक आपूर्ति निगम, सहकारिता विभाग, जिला सहकारी बैंक, जनसंपर्क विभाग, श्रम विभाग, समाज कल्याण, मछली पालन विभाग, छग स्टेट वेयर हाऊस कार्पोरेशन, कौशल विकास विभाग, भूमि संरक्षण विभाग, आयुष विभाग, भारतीय दूरसंचार निगम, वन विभाग व पुलिस विभाग का जिला स्तरीय संचालन चल रहा है वहीं जिला पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, गृह निर्माण मंडल, क्रेडा, जिला योजना एवं सांख्यिकी, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, अंत्यावसायी विभाग, हाथ करघा विभाग, उपसंचालक नगर तथा ग्राम निवेश, जिला निर्माण एवं स्वरोजगार विभाग, जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र, बीज निगम, खेल विभाग, अतिरिक्त क्षेत्रीय परिवहन, खनिज विभाग, खादी ग्रामोद्योग, हस्तशिल्प विकास बोर्ड, नापतोल विभाग, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा, सेतु निर्माण विभाग, एडीबी, प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना, मुख्यमंत्री ग्राम सडक़ योजना व सीजीआरआईडीसीएल विभाग का जिला स्तरीय संचालन अधिकारिक रूप से प्रारंभ नहीं हो पाया है. इनमें नगरीय प्रशासन विभाग, लोक निर्माण विभाग, पशु चिकित्सा विभाग, जल संसाधन विभाग, विद्युत विभाग, कृषि उपज मंडी, भारतीय दूर संचार निगम व वन विभाग के जिला स्तरीय समकक्ष प्रशासन पूर्व से संचालित रहा है.

150 दिन में मिले 278 आवेदन, 207 हो चुका है निराकरण

जिला निर्माण के बाद कलेक्टे्रट में संचालित जनसंवाद में अब तक 278 आवेदन जिलेवासियों के द्वारा समस्याओं के निराकरण के लिये जिलाधीश को प्राप्त हुये हैं जिनमें से 207 आवेदनों का समस्या समाधान सहित निराकरण किया जा चुका है जबकि 71 आवेदन निराकरण के लिये वर्तमान में लंबित है. समस्याओं को लेकर प्रेषित आवेदनों की विभागवार बात की जाये तो समाज कल्याण विभाग को 15, शिक्षा विभाग को 54, स्वास्थ्य विभाग को 16, नगरीय प्रशासन विभाग को 13, पंचायत एवं ग्रामीण विकास को 65, विद्युत विभाग को 16, खाद्य विभाग को 11, कृषि विभाग को 12, राजस्व विभाग को 30, जल संसाधन विभाग को 13, लोक निर्माण विभाग को 7, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को 5, प्रधानमंत्री सडक़ योजना को लेकर 7, वन विभाग को 5, मछली विभाग को 3, आबकारी विभाग को 3 एवं महिला बाल विकास विभाग को 3 आवेदन प्राप्त हुये हैं जिनमें सर्वाधिक 17 पंचायत, 15 शिक्षा व 11 राजस्व विभाग के प्रकरण जांच निराकरण के लिये लंबित है.

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