चक्रवाती तूफान मोंथा से बेमौसम बारिश ने जिले में खड़ी और काटकर रखी फसलों को पहुँचाया भारी नुकसान

सत्यमेव न्यूज के लिए मनोहर सेन खैरागढ़। बंगाल की खाड़ी से उठे चक्रवाती तूफान के प्रभाव से खैरागढ़-छुईखदान-गंडई (केसीजी) क्षेत्र में लगातार हो रही बेमौसम बारिश ने किसानों की मुसीबतें बढ़ा दी हैं। जिले के दर्जनों गांवों में रुक-रुक कर हो रही बारिश के कारण खेतों में खड़ी और काटकर रखी गई धान की फसलें बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। बीते तीन दिनों से मौसम में परिवर्तन और गुरुवार को भी तेज बारिश के बाद किसानों का कहना हैं कि इस बार धान की हरुना किस्म लगभग एक माह पहले ही पककर तैयार हो गई थी लेकिन अक्टूबर माह में लगातार बदलते मौसम और बादल के कारण किसानों ने कटाई टाल दी थी। अब जबकि दीपावली के बाद किसानों ने बड़े पैमाने पर कटाई कार्य शुरू किया था तभी चक्रवाती बारिश ने सब योजना बिगाड़ दी।

लगातार वर्षा और नमी के चलते खेतों में काटकर रखे गए धान को सुखाने का मौका नहीं मिल पा रहा है। कई किसानों ने बताया कि फसल खेतों में ही भीग रही है जिससे धान में अंकुरण की संभावना बढ़ गई है। इससे उत्पादन और गुणवत्ता दोनों पर असर पड़ना तय माना जा रहा है। खेतों में खड़ी फसलों का भी हाल खराब है। माई किस्म के धान के पौधे नरम पड़ने लगे हैं और बाली टूटकर गिरने का खतरा मंडरा रहा है। किसानों को आशंका है कि यदि अगले दो-तीन दिनों में मौसम नहीं खुला तो फसल की और बड़ी हानि होगी।

ग्रामीण क्षेत्रों के किसान प्रशासन से सर्वे कर फसल नुकसान का मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि लगातार बेमौसम बारिश ने मेहनत पर पानी फेर दिया है। कई जगहों पर खेतों में पानी भर जाने से कटाई कार्य भी ठप हो गया है। खैरागढ़-छुईखदान-गंडई के किसानों ने जिला प्रशासन से अपील की है कि नुकसान का आंकलन कर शीघ्र राहत राशि स्वीकृत की जाए ताकि आगामी रबी सीजन के लिए तैयारी की जा सके।

मौसम विभाग के अनुसार बंगाल की खाड़ी से उठे चक्रवाती तूफान का असर अभी अगले 24 से 48 घंटे तक रहने की संभावना है। बताया जा रहा है कि मौसम परिवर्तन का असर रविवार तक गहरे रूप में देखा जा सकता है। इस दौरान हल्की से मध्यम बारिश के साथ आसमान में बादल छाए रहने की संभावना जताई गई है।

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