मंदिर के पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व से हुये रु-ब-रु
जिलेवासियों को गौरवशाली अनुभूति का अनुभव कराने वाले प्राचीन मंदिर, स्मारक, पर्यटन स्थलों को सहेजने की दिशा में होगी पहल- कलेक्टर
सत्यमेव न्यूज़ खैरागढ़ . कलेक्टर चन्द्रकांत वर्मा ने जिले के गंडई नगर स्थित प्राचीन देऊर मंदिर (शिव मंदिर) का अवलोकन किया। इस दौरान वे मंदिर के पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व से रु-ब-रु हुये। कलेक्टर श्री वर्मा ने कहा कि जिले के छुईखदान विकासखंड के अंतर्गत आने वाले गंडई स्थित शिव मंदिर (देऊर मंदिर) को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा एक संरक्षित स्मारक के रूप में मान्यता प्राप्त है, जो इस क्षेत्र के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को उजागर करता है। साथ ही इस मंदिर के कई पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व भी है। जिलेवासियों को गौरवशाली अनुभूति का अनुभव कराने वाले इस तरह के प्राचीन मंदिर, स्मारक, पर्यटन स्थलों को सहेजने की दिशा में जिला प्रशासन काम कर रहा है। जिले में पर्यटन की अपार संभावनायें है, जिसे दृष्टिगत रखते हुये कार्ययोजना तैयार कर उस पर काम किया जाएगा। ताकि जिले में पर्यटन को बढ़ावा मिल सके। इस दौरान छुईखदान एसडीएम रेणुका रात्रे सहित अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि गंडई शिव मंदिर, जिसे देउर शिव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर खैरागढ़ जिला मुख्यालय से करीब 35 किमी दूर कवर्धा मार्ग पर गंडई में स्थित है, जो इसके ऐतिहासिक और स्थापत्य महत्व की खोज में रुचि रखने वाले यात्रियों के लिए सुलभ है। इस मंदिर का कुछ पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व है।
पौराणिक महत्व के अनुसार ऐसा माना जाता है कि गंडई शिव मंदिर का निर्माण 13वीं से 14वीं शताब्दी के दौरान कलचुरी राजवंश द्वारा किया गया था, जिससे इसका ऐतिहासिक महत्व बढ़ गया है। इस मंदिर की विशेषता की बात करें तो यह मंदिर पूर्वमुखी है, जो हिंदू मंदिर वास्तुकला में एक सामान्य अभिविन्यास है। यह वास्तुकला की नागर शैली का अनुसरण करता है, जो उत्तर भारतीय मंदिर डिजाइन की विशेषता है।मंदिर योजना में त्रिरथ है, जिसका अर्थ है कि इसमें तीन खंडों वाला एक घुमावदार शिखर है। गर्भगृह के सामने, मुख्य देवता, भगवान शिव की ओर मुख करके एक नंदी की मूर्ति है।