
आगामी 10 मई को होगा लोक अदालत का आयोजन
सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर व अध्यक्ष सुषमा सावंत जिला विधिक सेवा प्राधिकरण राजनांदगांव के निर्देशानुसार अध्यक्ष मोहनी कंवर तालुक विधिक सेवा समिति खैरागढ़ की अध्यक्षता में 24 अप्रैल को नेशनल लोक अदालत को सफल बनाने के लिये बैंक, नगर पालिका, बीएसएनएल, विद्युत विभाग के कर्मचारियों व प्रतिनिधियों के साथ बैठक का आयोजन व्यवहार न्यायालय खैरागढ़ में हुआ। ज्ञात हो कि आगामी नेशनल लोक अदालत 10 मई को आयोजित होगा एवं उक्त नेशनल लोक अदालत में अधिक से अधिक प्रकरणों का निराकरण किये जाने के संबंध में तहसील विधिक सेवा समिति की अध्यक्ष मोहनी कंवर द्वारा 24 अप्रैल को बैंक, नगर पालिका, बीएसएनएल, विद्युत विभाग के कर्मचारियों व प्रतिनिधियों के साथ एक महती बैठक आयोजित की गई जिसमें मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्याम कुमार साहू, जेएमएफसी आकांक्षा खलखो, जयंत बिसेन छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक, उज्ज्वल कुमार, दीपक कुमार साहू आईडीबीआई बैंक, ओम प्रकाश, पंजाब नेशनल बैंक और संदीप कुमार बैंक ऑफ महाराष्ट्र, टीडी वर्मा विद्युत विभाग, पियूषचंद्र यदु नगर पालिका, सीआर चूरेंद्र बीएसएनएल और पैरालीगल वालिंटियर गोलूदास साहू, उपस्थित रहे। उपस्थित बैंक, नगर पालिका, बीएसएनएल, विद्युत विभाग के कर्मचारियों व प्रतिनिधियों के द्वारा ज्यादा से ज्यादा प्रकरणों के निराकरण के लिये प्रयास किये जाने के पर जोर दिया गया एवं बताया गया कि उनके द्वारा नेशनल लोक अदालत में प्री लिटिगेशन प्रकरण निराकरण के लिये पेश किया गया है। उल्लेखनीय है कि आगामी नेशनल लोक अदालत में व्यवहार प्रकरण यथा संपत्ति संबंधी वाद, धन वसूली संबंधी वाद, बैंक एवं अन्य वित्तीय संस्थाओं से संबंधित मामले, राजीनामा योग्य दांडिक प्रकरण, मोटर दुर्घटना दावा प्रकरण, परिवार न्यायालय में लंबित वैवाहिक एवं अन्य मामले, विशेष न्यायालय (विद्युत अधिनियम) में लंबित प्रकरण व अन्य राजस्व संबंधी समझौता योग्य मामले का निराकरण होता है। लोक अदालत में प्रकरणों के निपटारे से शीघ्र न्याय मिलता हैं व निपटारा प्रकारणों में दोनों पक्षों की जीत होती है। आपसी राजीनामा के कारण मामलों की अपील नहीं होती। दीवानी प्रकरणों का परिणाम तुरंत मिलता है। दावा प्रकरणों में बीमा कंपनी द्वारा राजीनामा मामलों में तुरंत एवार्ड राशि जमा कर दी जाती है। लोक अदालत में राजीनामा करने से बार-बार अदालतों में आने से रुपयों, समय की बर्बादी व अकारण परेशानी से बचा जा सकता है। लोक अदालत में राजीनामा करने से दीवानी प्रकरणों में कोर्ट फीस पक्षकारों को वापस मिल जाती है, किसी पक्ष को सजा नहीं होती। मामले को बातचीत द्वारा सफाई से हल कर लिया जाता है एवं सभी को आसानी से न्याय मिल जाता है। यहाँ का फैसला अन्तिम होता है व निर्णय के विरूद्ध कहीं अपील नहीं होती है।