
पंचायतों में नहीं हुए शिविर फिर भी कर दिया लाखों का भुगतान
सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. खैरागढ़ जनपद पंचायत अंतर्गत आने वाले पंचायतों में शिविर का आयोजन नहीं होने के बाद भी अधिकारियों ने लाखों के भुगतान का खेल खेला है। भ्रष्टाचार की जद में दिख रहे इस मामले को लेकर जनपद पंचायत एक बार फिर सवालों के घेरे में है। मामला है प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2024 में निर्देशित “जन समस्या निवारण शिविरों” में हुये भारी फर्जीवाड़े का। शासन के निर्देश पर केसीजी जिले के कलेक्टर द्वारा खैरागढ़ ब्लॉक के छह ग्राम पंचायत क्रमशः देवरी, बरबसपुर, गातापार जंगल, सिंघौरी, सलौनी और विचारपुर में शिविर आयोजित करने की योजना बनाई गई थी लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि इन छह में से केवल दो जगह गातापार जंगल और मडौदा (जिसे बाद में सिंघौरी स्थानांतरित कर दिया गया) में ही शिविर का आयोजन हुआ। शिविर को लेकर शेष चार पंचायतों में कार्यक्रम स्थगित कर दिये गये थे। बावजूद इसके जिन पंचायत में शिविर हुए ही नहीं वहां शिविर लगाने के नाम पर जनपद पंचायत ने लाखों का भुगतान किया है। ज्ञात हो कि महज दो शिविरों के आयोजन पर एक निजी टेंट हाउस को तीन लाख रुपये का भुगतान किया गया। यह खर्च तब किया गया जब वास्तविक आयोजन केवल दो जगहों पर हुये। जनपद पंचायत में अधिकारियों के इस खेला आयोजन को लेकर अब कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।
जनप्रतिनिधि और अधिकारी ही कर रहे हैं फर्जीवाड़े की पुष्टि
स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने खुद इस फर्जीवाड़े की पुष्टि की है। बरबसपुर सचिव मुकेश टंडन, विचारपुर सचिव साधना महोबिया, अकरजन के सरपंच दुर्गेश साहू और बरबसपुर के पूर्व सरपंच पति अमृतलाल वर्मा सभी ने यह स्पष्ट किया है कि उनके क्षेत्र में कोई शिविर हुआ ही नहीं है। यह जानकारी सामने आने के बावजूद जिला प्रशासन और जनपद पंचायत के जिम्मेदार अधिकारी अब पूरे मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं। इस मामले को लेकर जब जनपद पंचायत खैरागढ़ में पदस्थ सीईओ नारायण बंजारा से मिडिया कर्मियों ने सवाल किया तो उन्होंने केवल इतना ही कहा कि “शिविर में लगे टेंट, माइक, पंडाल का भुगतान जनपद द्वारा किया गया है।” बता दे कि यह कोई पहली बार नहीं है जब जनपद पंचायत खैरागढ़ में जनहित की आड़ में भ्रष्टाचार किया गया हो। पूर्व में डीएससी के नाम पर सरपंचों से तीन-तीन हजार रुपये की अवैध वसूली का मामला भी सामने आ चुका हैं लेकिन प्रशासन की ओर से कोई भी सार्थक करवाई सिफर है। अब सीधे शासन के निर्देश पर संचालित समस्या निवारण शिविर जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम में लाखों का घोटाला उजागर होना दर्शाता है कि जनपद में भ्रष्टाचार खुलेआम हो रहा है और सुशासन वाली सरकार में इन्हें रोकने वाला कोई नहीं है। मामले में फर्जीवाड़े के बावजूद न कोई जांच शुरू हुई और न ही किसी अधिकारी से जवाब-तलब किया गया। अब मामले के सामने आने के बाद स्थानीय जनता और जनप्रतिनिधियों में आक्रोश गहरा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि जब सरकारी योजनाओं का ऐसा हाल है तो आम आदमी की समस्याएं कहां सुनी जाएंगी? वे मांग कर रहे हैं कि इस फर्जी भुगतान की उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
जानिए मामले में क्या कहते हैं जनपद के जनप्रतिनिधि
जन समस्या निवारण शिविर में हुए भ्रष्टाचार के खुलासे के बाद अब इस मामले पर राजनीतिक गहमागहमी तेज़ हो गई है। घोटाले को लेकर विपक्षी जनप्रतिनिधियों का गुस्सा अब खुलकर सामने आने लगा है। कांग्रेस के वरिष्ठ जनपद सदस्य और खैरागढ़ ग्रामीण कांग्रेस के अध्यक्ष आकाशदीप सिंह गोल्डी ने इस पूरे प्रकरण पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “आगामी सामान्य सभा की बैठक में अवैध डीएससी वसूली और जन समस्या निवारण शिविर में हुए भ्रष्टाचार को लेकर विस्तृत जानकारी मांगी जाएगी। यदि इन मुद्दों पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई, तो विपक्ष सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करेगा।” उन्होंने स्पष्ट कहा कि भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों और कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए वहीं सत्ता पक्ष से जनपद सदस्य सरस्वती सन्नी यदु ने भी जनपद प्रशासन पर सवाल खड़े करते हुए कहा, “जनपद में लगातार भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं लेकिन अब तक किसी दोषी पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है जो अपने आप में गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।” उन्होंने जन समस्या निवारण शिविर में टेंट और पंडाल के नाम पर भारी-भरकम राशि निकाले जाने को अध्यक्ष और जिला सीईओ से जांच की मांग करने वाले है। श्रीमती यदु ने बताया कि वह इस मामले को लेकर जनपद अध्यक्ष से चर्चा करेंगी और एक जांच समिति गठित कर घोटाले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग रखेंगी।