किसान महापंचायत ने लिया ऐतिहासिक फैसला: श्री सीमेंट कंपनी कर्मचारियों, समर्थक अधिकारियों व नेताओं के गांवों में प्रवेश पर प्रतिबंध

सत्यमेव न्यूज खैरागढ़। केसीजी जिले के संडी क्षेत्र में प्रस्तावित चूना पत्थर खनन एवं सीमेंट फैक्ट्री परियोजना के विरोध में आयोजित किसान महापंचायत ने आंदोलन को निर्णायक और संगठित चरण में पहुंचा दिया है। पंडरिया-विचारपुर भाठा में आयोजित इस महापंचायत में क्षेत्र के 55 गांवों से करीब 5 से 6 हजार किसान, महिलाएं और ग्रामीण एकत्रित हुए। उल्लेखनीय रूप से इसमें लगभग 2 हजार महिलाओं की सक्रिय भागीदारी रही जिसने आंदोलन को व्यापक सामाजिक समर्थन का स्वरूप दिया। महापंचायत स्थल पर किसानों का आक्रोश, चिंता और संकल्प स्पष्ट रूप से दिखाई दिया। किसानों ने एक स्वर में कहा कि किसी भी परिस्थिति में खनन और सीमेंट फैक्ट्री परियोजना को स्वीकार नहीं किया जाएगा। वक्ताओं ने कहा कि यह आंदोलन अब केवल विरोध प्रदर्शन तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि जमीन, जल, जंगल और भविष्य की रक्षा के लिए अधिकारों की निर्णायक लड़ाई के रूप में आगे बढ़ेगा।

महापंचायत में वक्ताओं ने कहा कि प्रस्तावित परियोजना से क्षेत्र की कृषि, जलस्रोत, पर्यावरण और सामाजिक संरचना पर गंभीर प्रभाव पड़ने की आशंका है। किसानों का कहना था कि विकास के नाम पर कृषि भूमि का अधिग्रहण, जल संकट और विस्थापन किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है। किसानों ने यह भी स्पष्ट किया कि यह संघर्ष किसी राजनीतिक दल के विरुद्ध नहीं बल्कि अपने अधिकारों और अस्तित्व की रक्षा के लिए है।

आंदोलन को मिली स्थायी और संगठित नेतृत्व व्यवस्था
महापंचायत में आंदोलन को दीर्घकालिक और प्रभावी दिशा देने के उद्देश्य से किसान अधिकार संघर्ष समिति के गठन का निर्णय लिया गया। इस समिति को आंदोलन की रणनीति, संवाद, समन्वय और निर्णय प्रक्रिया की जिम्मेदारी सौंपी गई है। समिति में कई दायित्व तय किए गये है जिनमें संरक्षक के रूप में जिले के किसान नेता गिरंवर जंघेल व मोतीलाल जंघेल, संयोजक सुधीर गोलछा, अध्यक्ष लुकेश्वरी जंघेल, सचिव प्रियंका जंघेल, सह सचिव मुकेश पटेल, उपाध्यक्ष कामदेव जंघेल, प्रमोद सिंह व राजकुमार जंघेल होंगे वहीं समिति गठन को आंदोलन के लिए संगठनात्मक मजबूती और अनुशासन की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।

महापंचायत में यह भी निर्णय लिया गया कि पंडरिया भाठा को आंदोलन के स्थायी केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। यहाँ दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर के निर्माण का निर्णय लिया गया जिसे किसान एकता, सांस्कृतिक चेतना और संघर्ष की पहचान के रूप में स्थापित किया जाएगा। किसानों ने कहा कि यह स्थल आने वाले समय में संघर्ष, संवाद और एकजुटता का प्रतीक बनेगा। परियोजना निरस्तीकरण तक हर माह किसान पंचायत किसानों ने सर्वसम्मति से तय किया कि जब तक खनन और सीमेंट फैक्ट्री परियोजना पूरी तरह निरस्त नहीं हो जाती तब तक हर माह नियमित किसान पंचायत आयोजित की जाएगी। इस निर्णय से आंदोलन को निरंतरता, संगठनात्मक मजबूती और सामूहिक समीक्षा का मंच मिलेगा।

महापंचायत का सबसे सख्त और अहम निर्णय यह रहा कि खनन परियोजना से जुड़े कंपनी कर्मचारियों, समर्थक अधिकारियों और नेताओं को गांवों में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। किसानों ने इसे अपने गांवों की सामाजिक संरचना, कृषि भूमि और सामुदायिक सौहार्द की रक्षा के लिए आवश्यक कदम बताया। यह निर्णय आंदोलन की गंभीरता और किसानों के अडिग रुख को दर्शाता है। सभी समाजों का समर्थन, किसान एकता का व्यापक प्रदर्शन महापंचायत में विभिन्न समाजों के प्रतिनिधियों ने खुलकर आंदोलन को समर्थन दिया। साहू, लोधी, कोसरिया यादव सहित अन्य समाजों के जिला एवं प्रदेश स्तरीय प्रतिनिधियों को श्रीफल और किसानी पटका भेंट कर सम्मानित किया गया। सभी समाजों ने एक स्वर में कहा कि यह लड़ाई किसी एक वर्ग की नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र के भविष्य की लड़ाई है।

महापंचायत के फैसलों से यह स्पष्ट हो गया है कि खनन परियोजना के खिलाफ आंदोलन अब व्यापक, संगठित और निर्णायक स्वरूप ले चुका है। किसानों ने दो टूक कहा कि यह संघर्ष केवल जमीन का नहीं बल्कि सम्मान, अस्तित्व और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य से जुड़ा है। परियोजना रद्द होने तक आंदोलन जारी रहेगा। यह किसानों का अंतिम और अडिग संकल्प है।

महापंचायत के दौरान आंदोलन के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारी का उदाहरण भी देखने को मिला। आयोजन स्थल पर लगाए गए रक्तदान शिविर में 47 किसानों ने स्वेच्छा से रक्तदान किया। यह रक्त सिकलिन और थैलेसीमिया जैसी गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों के उपचार के लिए समर्पित किया गया। किसानों ने कहा कि उनका आंदोलन केवल विरोध का प्रतीक नहीं, बल्कि मानवीय मूल्यों और सामाजिक सरोकारों से जुड़ा संघर्ष है।

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