मुआवजे को लेकर संघर्ष समिति का संघर्ष रंग लाया
सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. एडीबी प्रोजेक्ट अंतर्गत बन रहे छुईखदान-दनिया सडक़ निर्माण के जद में आ चूके कृषि भूमि का मुआवजा अंतत: लंबे संघर्ष के बाद अब किसानों को मिलने वाला है. नव गठित जिला केसीजी के सबसे चर्चित और विवादों से घिरे एडीबी प्रोजेक्ट अंतर्गत बन रहे सडक़ छुईखदान-दनिया के प्रभावित 16 गांव के किसानों की भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही शुरू हो गई है. इसके लिए कलेक्टर के द्वारा पद्मावतीपुर प.ह.नं. 46 के 36 प्रकरण के 42 खसरा नंबर के कुल 6.973 हेक्टर के11490 वर्ग मीटर मुख्य मार्ग की भूमि को भूअर्जन के लिये सार्वजनिक सूचना जारी किया गया है जिसमें प्रभावितों की भूमि का अर्जन आपसी सहमति से भूमि क्रय नीति 2016 के तहत मुआवजा राशि का निर्धारण होगा. जिन किसानों की जितनी जमीन का अधिग्रहण होगा, उतनी राशि का उन्हें चेक प्रदान कर पंजीयन कार्यालय छुईखदान एवं गंडई में एडीबी प्रोजेक्ट, छत्तीसगढ़ राज् य सडक़ क्षेत्र परियोजना, लोक निर्माण विभाग के पक्ष में किया जाना होगा.
मुआवजा के लिये दावा आपत्ति करने पहली सूची जारी
26 किलोमीटर लंबे इस मार्ग में कुल प्रभावित गांव की संख्या 16 है जिन्हें मुआवजा प्रदान किया जायेगा. 3 गांव के किसानों के भू-अर्जन में दावा आपत्ति के लिए कलेक्टर के द्वारा सूची जारी किया गया है, शेष 13 गांव के प्रभावित किसानों की सूची भी जारी होना शेष है. ज्ञात हो कि एडीबी प्रोजेक्ट के अधिकारियों ने बगैर भूमि अधिग्रहण किये बिना ही सडक़ निर्माण करवा दिया था जिसके खिलाफ किसानों ने युवा नेता और प्रभावित किसान सुधीर गोलछा के साथ सैंकड़ों की संख्या में पूर्व उपाध्यक्ष खम्हन ताम्रकार की अगुवाई में 18 अक्टूबर 2022 को दनिया से छुईखदान तक 27 किलो मीटर पद यात्रा कर छुईखदान के बस स्टैंड में सभा कर प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर मुआवजा राशि देने की मांग करते हुये हल्ला बोला था.
पद यात्रा से खुली प्रशासन की नींद
किसानों के पद यात्रा के बाद ही प्रशासन हरकत में आया और आनन-फानन में एसडीएम कार्यालय छुईखदान में राजस्व विभाग, एडीबी प्रोजेक्ट के अधिकारी और आन्दोलनकारी किसानों के मध्य त्रिपक्षीय बैठक आयोजित की गई जिसमें किसानों के काफी कड़े तेवर के सामने प्रशासन पुन: सर्वे कराकर किसानों का भू अर्जन प्रकरण बनाने को राजी हुआ. इसके तत्काल बाद दूसरे दिन दनिया से सर्वे का कार्य भी तहसीलदार की निगरानी में एडीबी प्रोजेक्ट के अधिकारियों के साथ हल्का पटवारी, आरआई के द्वारा संयुक्त रूप से किया गया.
मुआवजा के लिये गोलछा के नेतृत्व में बना संघर्ष समिति
बिना अधिग्रहण किए और बिना मुआवजा राशि दिए लगातार सडक़ निर्माण कार्य होता रहा जिसे देखते हुये किसानों ने गांव-गांव में बैठक कर मुआवजे की लड़ाई को तेज करने का निर्णय लिया. पद्मावतीपुर में प्रभावित 16 गांवों के किसानों की एक बड़ी बैठक आयोजित की गई जहां पूर्व विधायक गिरवर जंघेल, पूर्व जनपद उपाध्यक्ष खम्हन ताम्रकार व भवानी बहादुर सिंह के संरक्षण में युवा नेता सुधीर गोलछा के नेतृत्व में मुआवजा संघर्ष समिति का गठन किया गया जिसके बाद ही मुआवजा का संघर्ष तेज हुआ.
दोषी अधिकारियों पर क्या कार्यवाही होगी इस पर सबकी नजर
बिना अधिग्रहण सडक़ बनवाने वाले अधिकारी एडीबी प्रोजेक्ट के परियोजना प्रबंधक, उपप्रबंधक एडी बंजारे, इंजीनियर फारूक एवं अन्य पर कब कार्यवाही होगी इस पर सबकी नजर है. आखिर एडीबी प्रोजेक्ट के अधिकारियों ने जमीन अधिग्रहण करने के पहले किसानों की निजी भूमि पर जबरन कब्जा कर सडक़ निर्माण कार्य किसके शह पर किया है यह सामने नहीं आया है.
किसानों के नाम पर चुनाव जीतने वाले नेता मौन क्यों थे
यह बात हर किसान और ग्रामीणों के जुबान और चर्चा का विषय बन चुका है कि जो नेता किसानों के नाम पर चुनाव जीते-हारे हैं, वो इतने बड़े मामले में आखिर चुप क्यों थे. नेताओं की इस बेरुखी की वजह से किसानों ने गांव-गांव में नेताओं का प्रवेश वर्जित है का बैनर भी लगाया. किसानों के मुआवजा संघर्ष में किसानों के साथ पूर्व विधायक गिरवर जंघेल और भाजपा नेता खम्हन ताम्रकार ही खड़े नजर आये. किसानों के प्रति अन्य नेताओं की दूरी का दूरगामी प्रभाव आने वाले चुनाव में देखने को मिलेगा.
लगातार किसानों के संघर्ष के बाद ही प्रशासन ने किसानों की सुध ली है. ये किसानों के संघर्ष की जीत है, जल्द से जल्द शेष बचे गांवों के प्रभावित किसानों की सूची जारी करें साथ ही दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाये.
खम्हन ताम्रकार, युवा किसान नेता