नगर पालिका व पशु चिकित्सा विभाग की टीम ने की कार्रवाई
आवारा घूम रहे हैं हत्यारे सांड को पकड़ने कलेक्टर ने दिया था आदेश
सत्यमेव न्यूज/खैरागढ़. छात्रा श्रेया करकरे की मौत का जिम्मेदार हत्यारे सांड को अंततः रेस्क्यू कर पकड़ लिया गया. पशु चिकित्सा विभाग व नगर पालिका की संयुक्त टीम ने डेढ़ घंटे के परिश्रम के बाद बेहद खतरनाक हो चुके सांड को पकड़ा. छात्र की मौत के बाद कलेक्टर चंद्रकांत वर्मा ने हत्यारे सांड को पकड़ने आदेश दिया था. कलेक्टर के आदेश के बाद मुख्य नगर पालिका अधिकारी प्रमोद शुक्ला व पशु चिकित्सा विभाग के जिला नोडल अधिकारी डॉ.राजीव शर्मा एवं डॉ.सुशांत रामटेके की अगवाई में टीम गठित की गई थी जो नगर में 2 दिन से आवारा घूम रहे हत्यारे सांड को पकड़ने जुगत लगा रहे थे और अंततः सांड को पकड़ लिया गया.
डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद पकड़ा गया सांड
शुक्रवार की अलसुबह इंदिरा कला संगीत विद्यालय की होनहार छात्रा श्रेया करकरे की दर्दनाक मौत के बाद आवारा मवेशियों की रोकथाम को लेकर जिला प्रशासन व नगर पालिका की काफी किरकिरी हो रही थी. इसके बाद कलेक्टर ने नाराजगी जाहिर करते हुए आवारा मवेशियों की रोकथाम करने आदेश जारी किया था. आदेश के बाद शनिवार की देर शाम से नगर पालिका व पशु चिकित्सा विभाग की टीम पहले हत्यारे सांड को ढूंढ रही थी. आज सुबह तकरीबन 8:00 बजे धरमपुरा पुल के पास छात्र की मौत के लिए जिम्मेदार सांड नजर आया. रेस्क्यूकरने गई टीम अलर्ट हो गई और डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद हत्यारे सांड को पकड़ा गया.
संसाधनों के अभाव के बीच पकड़ाया सांड
बेहद खतरनाक हो चुके हत्यारे सांड को रेस्क्यू कर पकड़ने की कहानी भी जोखिम व रोमांच से भरी हुई है. दरअसल खतरनाक सांड को पकड़ने रेस्क्यू टीम के पास आधुनिक संसाधन नहीं थे. मसलन सांड को बेहोश करने के लिए उपयोग में लाई जाने वाली इंजेक्शन गन भी नहीं थी. बावजूद इसके टीम में शामिल सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी भागचंद पन्द्रे की सूझबूझ से सांड को पकड़ा गया. रेस्क्यू टीम के सदस्य व पालिका के स्वच्छता प्रभारी टोडर सिंह ने बताया कि श्री पन्द्रे ने जोखिम उठाकर साहसिक तरीके से एक अलग ही तकनीक के जरिए हत्यारे सांड को अकेले ही चित्त कर दिया इसके बाद रेस्क्यू टीम में शामिल अमन कुलदीप, सुरेश महोबे, जयराम, राजकुमार, विनय, संतोष यादव, जुगरू वर्मा ने सुबह 9.30 बजे सांड को पकड़ा और पालिका की काऊ कैचर वाहन में भरकर गातापार जंगल और लांजी के सुदूर जंगल में उसे छोड़ा गया.