कानपुर अधिवक्ता सम्मेलन में विप्लव साहू ने दिया प्रभावशाली उद्बोधन

सत्यमेव न्यूज खैरागढ़। डॉ.भीमराव अंबेडकर राष्ट्रीय अधिवक्ता संघ (भारत) का आठवां राष्ट्रीय अधिवक्ता सम्मेलन मंगलवार को कानपुर के महंत गणेशराम कॉलेज (एम.जी. कॉलेज) के सभागार में गरिमामय ढंग से संपन्न हुआ। देशभर से आए सैकड़ों अधिवक्ताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों ने सम्मेलन में भाग लिया। छत्तीसगढ़ से भी बड़ी संख्या में अधिवक्ता इस आयोजन में शामिल हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता संघ के राष्ट्रीय संयोजक एडवोकेट बी.एम. सिंह (इलाहाबाद) ने की। मुख्य अतिथि के रूप में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एडवोकेट अशोक कुमार बैन (जबलपुर) उपस्थित रहे वहीं विशिष्ट अतिथि वक्ता के तौर पर प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता एवं शैक्षिक प्रगतिशील मंच के संयोजक विप्लव साहू को विशेष आमंत्रण दिया गया। कार्यक्रम की शुरुआत डॉ.भीमराव अंबेडकर के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन से हुई। अपने प्रभावशाली संबोधन में विप्लव साहू ने भारतीय समाज व्यवस्था और विधायिका में आरक्षित प्रतिनिधित्व पर गंभीर चिंतन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि आरक्षण ने समाज में कुछ हद तक संतुलन स्थापित किया है लेकिन जातीय स्तरीकरण और सामाजिक, आर्थिक असमानता अब भी बेहद गहरी है। केवल कानूनी अधिकार पर्याप्त नहीं हैं। हर व्यक्ति को अपने परिवार, समाज और प्रभाव क्षेत्र में नैतिक जिम्मेदारियाँ निभानी होंगी। श्री साहू ने मशहूर लेखिका मार्था मेडिरोस के प्रेरक विचारों का उल्लेख करते हुए जीवन में निरंतर सीखने और यात्राओं के महत्त्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा हमें यात्रा अवश्य करनी चाहिए यथा स्थानों की, किताबों की, रिश्तों की और नए कार्यों की। जो व्यक्ति यात्राएँ करना बंद कर देता है वह धीरे-धीरे जीते-जी मरने लगता है। उनके इस कथन पर सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। छत्तीसगढ़ से पहुँचे एडवोकेट शाकिर कुरैशी, जे.डी. महिलांगे, ए.डी. वर्मा, विक्रम यदु, रामकुमार जांगड़े, राजेंद्र जंघेल, कौशल कोसरे, साबरा खान, प्रशिक्षु अधिवक्ता प्रमोद कोर्राम और सामाजिक कार्यकर्ता विक्की सिन्हा ने सम्मेलन में सक्रिय भूमिका निभाई। छत्तीसगढ़ प्रतिनिधिमंडल की सहभागिता की विशेष रूप से सराहना की गई। उल्लेखनीय है कि सम्मेलन देर शाम उत्साहपूर्ण वातावरण में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।

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