वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.जीवन यदुने सुनाई कविताएं
सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. शास.रानी रश्मि देवी सिंह महाविद्यालय में सत राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा वनांचल में बसे ग्राम कटंगीखुर्द में विशेष शिविर में बौद्धिक परिचर्चा में राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि व लेखक डॉ.जीवन यदु सम्मिलित हुये. डॉ.यदु ने कहा कि मेरा जन्म गुलाम भारत में हुआ था. आजादी के पूर्व और बाद में देश में बहुत परिवर्तन हुआ है. इस परिवर्तन को उन्होंने ‘आजादी के बाद बबा के मेहनत मिलगे मट्टी म’ शीर्षक अपनी लोकप्रिय रचना गीत के माध्यम से प्रस्तुत किया. स्वयंसेवको को उन्होंने अनुशासन के पालन के लिए प्रेरित किया. मानव जीवन के विकास में युवाओं के हाथों की क्या भूमिका रही इस पर उन्होंने विस्तार से अपने अनुभव साझा किया और सेवा को मनुष्यता का प्रमाण बताया. संवेदनशील और प्रबुद्ध समाज, साहित्य में रुचि लेकर अपना समय व्यतीत करता है. जीवन और साहित्य में सभी प्रकार के भावों का महत्व रहता है. जिस तरह प्रेम, करुणा का महत्व है उसी तरह क्रोध का भी महत्व है. क्रोध दो प्रकार के होते हैं सात्विक और तामसिक. उन्होंने उदाहरण देकर समझाया कि राम ने समुद्र पर जो क्रोध किया था वो सात्विक था, जबकि रावण का विभीषण पर क्रोध तामसिक था. उन्होंने अपने एक और गीत का पाठ किया, जिसका शीर्षक था ‘चढ़ चढ़ मोर भईया नौकरी के रेल रे’ इस बौद्धिक परिचर्चा में विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे, पाठक मंच खैरागढ़ के संयोजक डॉ.प्रशांत झा ने कहा कि समाज के लोगों को साहित्य पढ़ना ही चाहिये. साहित्य लोगों में गहरी समझ पैदा करता है. लोगों को जागृत करता है. युवा कवि संकल्प यदु ने कहा कि साहित्य हमारे समय और समाज से ही उपजता है. समाज के लोगो को वर्तमान साहित्यकारों की रचनाओं को पढ़ना चाहिए. उन्होंने अपनी कविता ‘ आप बुड्ढे होने लगते हैं’ का भावपूर्ण पाठ किया. इस कविता में उन्होंने संवेदनहीन और आत्मकेंद्रित होते जा रहे व्यक्तियों को समाज से जुड़ने की प्रेरणा दी. इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत में बीए तृतीय वर्ष की छात्राएं गौरी यदु और लीना वर्मा ने स्वागत गीत गाकर अतिथियों का स्वागत किया. इस बौद्धिक परिचर्चा के अंत में आभार प्रदर्शन करते हुए कार्यक्रम अधिकारी प्रो.यशपाल जघेल ने कहा कि एनएसएस की इस बौद्धिक पर चर्चा में पहली बार साहित्यकारों का आगमन हुआ है, जो हमारे लिए सौभाग्य की बात है. हमारे लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण है. साहित्य हमें तोड़ना नहीं जोड़ना सीखाता है. जिसकी आज समाज को अत्यंत आवश्यकता है. उन्होंने अपनी कविता ‘जेमा जतका छूट हे भाँचा’ का पाठ किया. इस कार्यक्रम का संचालन बी.ए. द्वितीय वर्ष के छात्र गिरवर साहू और एमन लाल साहू ने किया. इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रुप में मंच पर गांव के सम्मानीय रामचंद पटेल समारू पटेल, जयराम वर्मा, पटवारी पटेल, सुनील ग्राम पटेल, बीरबल पटेल, होरीलाल पटेल के अलावा एनएसएस शिविर के दल नायक टिकेद्र वर्मा, उप दलनायक ताम्रध्वज वर्मा, श्रुति अग्रवाल, सीमा वर्मा, विष्णु यादव, गिधेलाल वर्मा, नितेश साहू, मनीष यदु के साथ 45 स्वमसेवक उपस्थित थे.