केसीजी, एमएमसी और राजनांदगांव जिले के कृषकों को कर रहे आधुनिक और उन्नत कृषि के लिये प्रेरित
नरेन्द्र की प्रेरणा से अब तक तीन हजार किसान परम्परागत खेती छोड़ कर रहे आधुनिक कृषि
महज 14 वर्ष की आयु से कठोर परिश्रम और लगन ने बनाया नरेन्द्र को सफल व्यवसायी और उन्नत कृषक
बीते 24 साल से कर रहे ट्रैक्टर सहित आधुनिक कृषि उपकरण व्यवसाय का कार्य
सत्यमेव न्यूज़ खैरागढ़. विरले ही ऐसे लोग होते हैं जो आधुनिकता के साथ जमीन से जुड़कर अपनी जीवन यात्रा को सफलता की नई ऊंचाईयों तक पहुंचाते हैं। खैरागढ़ के सफल व्यवसायी और उन्नतशील कृषक के साथ समाजसेवा के क्षेत्र में नये सोपान तय करने वाले नरेन्द्र जैन उन्हीं विरले व्यक्तित्व में से एक है जिन्होंने अपनी लगनशीलता व अथक परिश्रम से अपनी एक अलग पहचान बनाई है। आधुनिक कृषि करने की जिज्ञासा ने नरेन्द्र को कृषि उपकरण व्यवसाय के क्षेत्र में आज एक अलग शख्सियत के रूप में स्थापित किया है और नरेन्द्र 3 जिलों खैरागढ़-छुईखदान-गंडई, मानपुर-मोहला-चौकी और राजनांदगांव जिले के कृषकों को सतत आधुनिक और उन्नत कृषि के लिये प्रेरित कर रहे हैं। नरेन्द्र की प्रेरणा से इस क्षेत्र के लगभग 3 हजार किसान परंपरागत खेती छोड़ आधुनिक कृषि का कार्य कर रहे हैं और लगभग सभी किसान अब 3 गुना अधिक मुनाफे के साथ सफल कृषि कार्य कर रहे हैं। महज 14 वर्ष की आयु से अपनी माता श्रीमती आशारानी जैन की प्रेरणा से व्यवसायिक लगन और कठोर परिश्रम ने नरेन्द्र जैन को एक सफल व्यवसायी व उन्नत कृषक के रूप में स्थापित किया है। वे बीते 24 साल से ट्रैक्टर सहित आधुनिक कृषि उपकरण का व्यवसाय कर रहे हैं और इस क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित व्यवसायी के रूप में प्रसिद्ध हैं।
कपड़ा व्यवसाय के बाद अपनी जिज्ञासा और रूचि से किया कृषि क्षेत्र में पदार्पण
1 अगस्त 1971 को जन्में नरेन्द्र जैन का प्रारंभिक जीवन संघर्षपूर्ण व उतार-चढ़ाव भरा रहा। उन्होंने अपने पिता स्व.कुशालचंद जी बोथरा के साथ महज 14 वर्ष की आयु से साप्ताहिक बाजार में कपड़ा व्यवसाय का काम प्रारंभ किया। इसके 3 साल बाद उन्होंने कृषि उर्वरक व्यवसाय में पदार्पण किया और इसी दौरान उनकी जिज्ञासा आधुनिक कृषि की ओर बढ़ती गई। युवावस्था में अपनी जिज्ञासाओं के बीच नरेन्द्र ने बीकॉम और कानून की दो वर्षों तक पढ़ाई की, इस बीच उन्होंने खैरागढ़ में सबसे पहले सन् 2000 में ट्रैक्टर व आधुनिक कृषि उपकरण विक्रय के क्षेत्र में पदार्पण किया। यह वह दौर था जब पुराने ट्रैक्टर को रिफर्निश कर नया स्वरूप दिया जाता था। इस बीच कृषि में आधुनिकता को लेकर नरेन्द्र का रूझान बढ़ता गया और उन्होंने लगातार क्षेत्र के किसानों से संपर्क कर उन्हें आधुनिक खेती के लिये प्रेरित किया। अब तक वे लगभग 3 हजार किसानों को परंपरागत कृषि से आधुनिक व उन्नतशील कृषि कार्य के लिये प्रेरित कर चुके हैं। वर्तमान में श्री जैन बीते 1 साल से केसीजी सहित एमएमसी व राजनांदगांव जिले में जॉन डीयर ट्रैक्टर के डीलर के रूप में व्यवसाय कर रहे हैं। नरेन्द्र बताते हैं कि उन्हें बार-बार यह जिज्ञासा होती थी कि कम क्षेत्र में अधिक उपज कैसे ली जाये, इसके लिये उन्होंने सतत अध्ययन व इस क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का अनुभव लिया। कृषि में नई उन्नति की संभावना की तलाश की और लगातार क्षेत्र के कृषकों के संपर्क में रहकर उन्हें प्रोत्साहित करते रहे। आज आधुनिक कृषि करने वाले लगभग सभी किसानों का जीवन बदल गया है।
आधुनिक कृषि से तीन गुना अधिक पैदावार की संभावना
वर्तमान परिवेश में आधुनिक कृषि कार्य से तीन गुना अधिक पैदावार व मुनाफे की संभावनाएं है। श्री जैन की मानें तो 1 एकड़ में परंपरागत कृषि करने से धान की महज 8 से 10 क्विंटल उपज होती थी लेकिन अब परिस्थितियां बदल चुकी है। एक एकड़ में अब 30 क्विंटल तक पैदावार हो सकती है और किसान तीन गुना तक अधिक कमाई कर सकते हैं। उनकी माने तो उनके संपर्क में ऐसे भी प्रगतिशील कृषक हैं जो आधुनिक कृषि उपकरणों के बदौलत एक एकड़ में सालाना डेढ़ लाख रूपये तक की कमाई कर रहे हैं। बतौर डीलर श्री जैन जॉन डीयर के कृषि उपकरण लेजर लेबरर जो समान रूप से पूरे खेत को समतलीकरण करता है। हार्वेस्टर जो बहुत ही कम समय में कटाई एवं मिंजाई के लिये उपयुक्त है, रोटोवेटर जो खेतों की जोताई व मिट्टी संरक्षण के लिये बेहद फायदेमंद है तथा नये उपकरणों में सीड कम फर्टिलाइजर विथ रोटोवेटर जो एक साथ जुताई, कतारबद्ध बीज रोपण का कार्य बेहद आसानी से करता है आधुनिक कृषि के क्षेत्र में किसानों का सहायक है। श्री जैन ने बताया कि जॉन डीयर कंपनी खेतों से कचरा और मिट्टी साफ करने के लिये शीघ्र ही बनाना मल्चर की भी लांचिंग करने वाला है जो केले सहित उद्यानिकी व अन्य कृषि उपज की अधिक पैदावार करने वाले किसानों के लिये बहुत कारगर साबित होगा।
उद्यानिकी और बगीचा कल्चर में लाभ की अपार संभावनाएं
अपने अनुभव को साझा करते हुये नरेन्द्र जैन बताते हैं कि अविभाजित राजनांदगांव जिले में उद्यानिकी के साथ बगीचा कल्चर में लाभ की अपार संभावनाएं है। क्षेत्र के किसान आधुनिक कृषि की ओर आगे तो बढ़े हैं लेकिन क्षेत्र में अभी भी उद्यानिकी के क्षेत्र के साथ ही बगीचा कल्चर भी विकसित होना चाहिये जहां किसान न केवल हरी साग सब्जियों की बेहतर पैदावार कर सकते हैं बल्कि क्षेत्र की जलवायु के हिसाब से फलों की भी बेहतर खेती कर सकते हैं। श्री जैन का कहना है कि तीनों जिलों में गन्ना उत्पादन की अपार संभावनाएं है वहीं शक्कर फैक्ट्री के साथ फूड प्रोसेसिंग और इको फै्रंडली डिस्पोजल फैक्ट्री की भी स्थापना की जानी चाहिये। कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने इन जिलों में राइस मिल व्यवसाय की भी बेहतर संभावना है। शासन को नये उद्योग स्थापित करने के साथ ही किसानों को कम दर पर सब्सिडी के माध्यम से नये आधुनिक कृषि उपकरण उपलब्ध भी कराना चाहिये। इन सबसे कृषि क्षेत्र में नया विकास और उत्थान होगा और लोग धान, चने आदि फसलों की परंपरागत खेती से आगे निकल पायेंगे। उदाहरण देते हुये श्री जैन बताते हैं कि इजराईल, अमेरिका और चीन ऐसे देश हैं जिन्होंने आधुनिक कृषि के क्षेत्र में पूरे विश्व में अपनी धाक जमाई है वहीं पंजाब, गुजरात, हरियाणा व आंध्रप्रदेश देश के ऐसे प्रांत है जो आधुनिक कृषि के क्षेत्र में भारत का आधार स्तंभ बने हुये हैं वहीं अगर छत्तीसगढ़ प्रदेश की बात की जाये तो अंबिकापुर, धमतरी और पखांजुर क्षेत्र में तेजी से आधुनिक कृषि ने किसान भाईयों के जीवन को बदलकर रख दिया है।
10 साल आगे का सोचकर करें कृषि कार्य
कोई भी सफल उद्यमी या व्यवसायी वर्तमान में भविष्य की नींव रखकर ही सफलता की दिशा में आगे बढ़ सकता है। श्री जैन बताते हैं कि हर किसान को भविष्य का सोचकर आगे बढ़ना होगा। क्षेत्र में शिक्षा का स्तर बढ़ने से मजदूरों की स्वाभाविक कमी आयी है इसी के चलते अब परंपरागत रूप से मजदूर भरोसे कृषि कार्य बहुत महंगा हो चला है और भविष्य में परंपरागत कृषि में कई अन्य समस्याएं भी आयेंगी। खैरागढ़ से लगे ग्राम पेंड्री और देवारीभाट में स्वयं कृषि कार्य कर चुके श्री जैन बताते हैं कि संभावनाएं आधुनिक कृषि में ही विद्यमान है और प्रगतिशील कृषकों को इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिये। आधुनिक कृषि को लेकर भले ही हमारा क्षेत्र पिछड़ा हुआ है लेकिन अब नये युग में ड्रोन कृषि का प्रचलन आने वाले दिनों में बढ़ेगा। मजदूरों की कमी के कारण अब किसान ड्रोन के माध्यम से अपने खेतों में पानी-दवाई और उर्वरक का उपयोग कर रहे हैं। इसके लिये अब नये परिवेश में शासन से सहयोग की अपेक्षा भी है ताकि सब्सिडी और प्रोत्साहन मिलने से किसान ड्रोन कृषि को सहजता से स्वीकार कर सके।
कोई भी व्यवसाय हो शॉर्टकट से नहीं मिलती सफलता
सफलता के लिये कोई छोटा रास्ता नहीं होता। कृषकों सहित युवा व्यवसायियों को लगातार प्रेरणा देने में जुटे नरेन्द्र जैन कहते हैं कि कोई भी क्षेत्र हो सफलता का हम शॉर्टकट नहीं बना सकते। खासतौर पर व्यवसायिक क्षेत्र में किसी भी व्यवसायी की नियत साफ होनी चाहिये। बगैर ईमानदारी के हम ग्राहकों को संतोष नहीं दे सकते और ऐसा नहीं हुआ तो लंबे समय तक कोई भी किसी उद्यम कार्य में नहीं टीक सकता। आधुनिक परिवेश में लोग अपने माता-पिता और अभिभावकों के मार्गदर्शन को अनदेखा करते हैं इसलिये भी लोग असफल हो रहे हैं। आवश्यकता है कि हम अपने पिता और अभिभावकों की भूमिका को समझें और सफलता के लिये उनका अनुशरण करें। इसी सोच और समझ के कारण नरेन्द्र अपने पिता के साथ और अब भाई शैलेन्द्र जैन व पुत्र अभिषेक के साथ दो पीढ़ियों के बीच में सेतु बनकर अपने व्यवसाय को कुशलतापूर्वक आगे बढ़ाने में बेहद सफल रहे हैं।