
सत्यमेव न्यूज़ खैरागढ़. इन्दिरा कला संगीत विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के अध्यक्ष एवं अधिष्ठाता दृश्यकला संकाय प्रो.राजन यादव को महिला महाविद्यालय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी में वक्ता एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया। ज्ञात हो कि 17 से 19 अक्तूबर तक मध्यकालीन हिन्दी साहित्य सामाजिक स्वरूप एवं लोकरंग विषय पर आयोजित इस अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी में आठ देशों से बुल्गारिया, इटली, इंग्लैण्ड, मारीशस, मलेशिया, आस्ट्रिया एवं ट्रिनिडाड के साहित्यकार सहभागी थे। भारत के महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों के प्राध्यापको एवं शोधार्थियो ने भी प्रतिभागिता दी। संगोष्ठी के तृतीय दिवस के प्रथम सत्र में प्रो.राजन यादव ने गुरु गोरखनाथ से लेकर पद्माकर तक शास्त्रीय रचनाओं के साथ लोक भजनों को सस्वर प्रस्तुत करके बताया कि मध्यकालीन भक्त, कवि और गायक भी थे। भक्तिकाल आध्यात्मिक चिंतन साधना और काव्य सृजन का शिखर रहा है। इसी युग में समग्र मध्यकालीन चिन्तन के प्रेरक स्वामी रामानंद अवतरित हुये। इस सत्र के मुख्य अतिथि जय वर्मा इंग्लैण्ड, अध्यक्ष प्रो.राजकुमार पान्डेय, सारस्वत वक्ता प्रो.सत्यपाल शर्मा, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ.अमरजीत राम ने एवं आभार व्यक्त डॉ.ज्योति दुबे ने किया। इससे पूर्व प्रो.यादव को अंगवस्त्रम एवं प्रतीक चिन्ह संगोष्ठी के संयोजक डॉ.हरीश ने भेंट किया।